//उपहार// “बड़े दिनों से सोचा है, आज ज़रूर ख़रीदूँगा” दानिश के कमज़ोर कंधे आज पसीने से तर हो चले थे। मज़दूरी का रोज़गार आज कुछ काम आने वाला था। वह राह चलते मंटू से बाज़ार का रास्ता पूछता निकल गया। उसकी रोज़ की मैली बनियान आज चूँकि तर हो चुकी थी तो कोयले सी खाल पर गमछे सी पड़ी थी। अपनी मुट्ठी में कुछ सिक्के और नोट पकड़े वो बरबस फलाँगे भरता उस सड़क पर चल पड़ा। #thumbsizedstories #ep47 //उपहार// “बड़े दिनों से सोचा है, आज ज़रूर ख़रीदूँगा” दानिश के कमज़ोर कंधे आज पसीने से तर हो चले थे। मज़दूरी का रोज़गार आज कुछ काम आने वाला था। वह राह चलते मंटू से बाज़ार का रास्ता पूछता निकल गया।