रंग और रूप तेरे "इश्क" का "रंग" मेरे "रग-रग" में समाया है! देखूँ "हुस्न" को जब भी तेरे , लगता !हैं,जेसे चांद "जमीं" पर उतर आया हैं !! रंग मेरे रग-रग