ठिठुरती ठंड में मैंने एक बाप को सरहद पर भारत माता की सेवा करते देखा है। जब ठिठुर रहे थे तुम इन गर्म रजाइयों में मैंने वहां तुम्हारे लिए उसे लड़ते देखा है। वो डटा रहा वहां ताकि तुम जी सको , लेकिन यहां तो मैंने तुम्हें कीड़े-मकोडो की तरह लडते देखा हे। खाई होगी झूठी-सच्ची कसमें तुमने, मगर मेने तो उसे एक सौगंध के लिए शहदात देते देखा है। -------------आनन्द शहादत