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एक फौजी के अर्द्धांगिनी की दशा.... सांसे थमने लगी

एक फौजी के अर्द्धांगिनी की दशा....
सांसे थमने लगी थी मेरी ,
जब खबर आई कि
सीमा पर हमला हुआ है
मेरे नाड़ियों की शिराओं में स्पंदन
शनैःशनैः शिथिल होने लगा था , 
मेरे हृदय की गति पर मेरी पकड़ 
ढीली पड़ने लगी थी .....
बहुत कोशिश पर फिर भी तुमसे 
जब सम्पर्क नहीं हो पाया तो
अकस्मात मेरी उम्मीदों की किरण 
डूबने लगी थी...
आँखों के सामने 
अँधेरा छाने लगा था...
आस-पास का कोलाहल  मेरे 
कानों के पास आते ही दम तोड़ने 
लगा था ....
कुछ पल के लिए मैं कोने में पड़ी 
रह गयी बेसुध सी बेजान सी...
सब कुछ रुक गया सा लगने लगा था...
मेरे मन की दशा का क्या कहूँ 
बेचैनी और एक जल बिन मीन 
सी छटपटाहट का अनुभव 
करते करते  मैं अर्द्धजाग्रत अवस्था
को पहुंच चुकी थी तभी दौड़ते हुए
बाबूजी आये और बोले हमें अस्पताल
जाना होगा .....
मुझे अम्मा ने उठाकर गाड़ी में बिठा दिया
वहां पहुंचकर मैंने मेरी आँखों के सामने 
शहीदों को तिरंगे में लपेटने की तैयारी में 
जुटे लोगों को देखा .....
मैं धड़ाम से गिर पड़ी.....
हाँ जख़्मी हुई थी मैं...
लेकिन उस क्रूर विधाता की 
लेखनी से मिलने वाली चोट से....
कभी न भर पाने वाली चोट से .....
😢😢अब और नहीं कह पाऊंगी कुछ..... 

                                            - नित्या # फौजी की अर्धांगिनी
एक फौजी के अर्द्धांगिनी की दशा....
सांसे थमने लगी थी मेरी ,
जब खबर आई कि
सीमा पर हमला हुआ है
मेरे नाड़ियों की शिराओं में स्पंदन
शनैःशनैः शिथिल होने लगा था , 
मेरे हृदय की गति पर मेरी पकड़ 
ढीली पड़ने लगी थी .....
बहुत कोशिश पर फिर भी तुमसे 
जब सम्पर्क नहीं हो पाया तो
अकस्मात मेरी उम्मीदों की किरण 
डूबने लगी थी...
आँखों के सामने 
अँधेरा छाने लगा था...
आस-पास का कोलाहल  मेरे 
कानों के पास आते ही दम तोड़ने 
लगा था ....
कुछ पल के लिए मैं कोने में पड़ी 
रह गयी बेसुध सी बेजान सी...
सब कुछ रुक गया सा लगने लगा था...
मेरे मन की दशा का क्या कहूँ 
बेचैनी और एक जल बिन मीन 
सी छटपटाहट का अनुभव 
करते करते  मैं अर्द्धजाग्रत अवस्था
को पहुंच चुकी थी तभी दौड़ते हुए
बाबूजी आये और बोले हमें अस्पताल
जाना होगा .....
मुझे अम्मा ने उठाकर गाड़ी में बिठा दिया
वहां पहुंचकर मैंने मेरी आँखों के सामने 
शहीदों को तिरंगे में लपेटने की तैयारी में 
जुटे लोगों को देखा .....
मैं धड़ाम से गिर पड़ी.....
हाँ जख़्मी हुई थी मैं...
लेकिन उस क्रूर विधाता की 
लेखनी से मिलने वाली चोट से....
कभी न भर पाने वाली चोट से .....
😢😢अब और नहीं कह पाऊंगी कुछ..... 

                                            - नित्या # फौजी की अर्धांगिनी
nityasingh8525

Nitya Singh

New Creator

# फौजी की अर्धांगिनी #बात