*** ग़ज़ल ***
*** ख्वाहिशें ***
" कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी,
मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी,
मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी ,
मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में,
फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था, #आईना#मुहब्बत#शायरी#मुकम्मल#जुस्तजू#पुर