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*** ग़ज़ल *** *** ख्वाहिशें *** " कहीं कुछ यूं ही

*** ग़ज़ल ***
*** ख्वाहिशें ***

" कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी,
मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी,
मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी ,
मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में,
फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,
पुर-ख़ुलूस जुस्तजू तमाम रहें हैं ,
 फिर इसी ऐबज में मुहब्बत के सिवा कोई काम ना रहे ,
तु मिलती तो कुछ बात तो हो , 
 इस सय में हमारी ख्वाहिशों मुकम्मल तो हो ,
देख के आईना तुम खुद से गुफ्तगू तो करते होंगे,
फिर कहीं हमारी ख्वाहिशें तमाम तो हो ,
 सबे-ए-हिज़्र फिर उन रातों का करना क्या था . "

                             --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल ***
*** ख्वाहिशें ***

" कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी,
मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी,
मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी ,
मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में,
फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,
*** ग़ज़ल ***
*** ख्वाहिशें ***

" कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी,
मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी,
मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी ,
मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में,
फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,
पुर-ख़ुलूस जुस्तजू तमाम रहें हैं ,
 फिर इसी ऐबज में मुहब्बत के सिवा कोई काम ना रहे ,
तु मिलती तो कुछ बात तो हो , 
 इस सय में हमारी ख्वाहिशों मुकम्मल तो हो ,
देख के आईना तुम खुद से गुफ्तगू तो करते होंगे,
फिर कहीं हमारी ख्वाहिशें तमाम तो हो ,
 सबे-ए-हिज़्र फिर उन रातों का करना क्या था . "

                             --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल ***
*** ख्वाहिशें ***

" कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी,
मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी,
मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी ,
मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में,
फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,

*** ग़ज़ल *** *** ख्वाहिशें *** " कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी, मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी, मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी , मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में, फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था, #आईना #मुहब्बत #शायरी #मुकम्मल #जुस्तजू #पुर