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जब आप परमात्मा से प्रेम करने लगते हो तब सबके प्रति

जब आप परमात्मा से प्रेम करने लगते हो
तब सबके प्रति प्रेममय हो जाते हो 🌹🕉🌹

परमात्मा एक परमसत्ता जिसको सबने अपने अपने भावानुसार पुकारा है
जब उसके प्रति प्रेम करते हो तो समस्त सृष्टि आपको अपनी लगने लगती है क्योंकि उसका रचयिता वही है और जब रचनाकार से प्रेम है तो उसकी रचना से भी स्वभाविक प्रेम हो ही जाता है
जैसे एक लड़की जब विवाह बंधन में बंधती है तो उसके लिए उसका सिर्फ़ पति ही नही सारा परिवार ही उसका हो जाता है
यहाँ प्रेम से मतलब बाहरी आकर्षण या क्रियाकलाप से नही है बल्कि ह्रदय से है... ह्रदय में किसी के प्रति भी द्वेष परायापन नही होता.... यद्यपि बाहर से व्यवहार में हो
जब आप परमात्मा से प्रेम करने लगते हो
तब सबके प्रति प्रेममय हो जाते हो 🌹🕉🌹

परमात्मा एक परमसत्ता जिसको सबने अपने अपने भावानुसार पुकारा है
जब उसके प्रति प्रेम करते हो तो समस्त सृष्टि आपको अपनी लगने लगती है क्योंकि उसका रचयिता वही है और जब रचनाकार से प्रेम है तो उसकी रचना से भी स्वभाविक प्रेम हो ही जाता है
जैसे एक लड़की जब विवाह बंधन में बंधती है तो उसके लिए उसका सिर्फ़ पति ही नही सारा परिवार ही उसका हो जाता है
यहाँ प्रेम से मतलब बाहरी आकर्षण या क्रियाकलाप से नही है बल्कि ह्रदय से है... ह्रदय में किसी के प्रति भी द्वेष परायापन नही होता.... यद्यपि बाहर से व्यवहार में हो
kusumsharma0267

Kusum Sharma

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