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ना राहे जुदा थी, ना ही हम जुदा थे एक तन्हा हम ही न

ना राहे जुदा थी, ना ही हम जुदा थे
एक तन्हा हम ही नहीं थे
रात के अंधेरे में अकेले तुम भी रोएं थें
ग़मो का सैलाब रहेगा इस जीवन में हमारे
तिल तिल कर हम भी मरेंगे
घूंट घूंट कर तुम भी जीओगे।

©Sarita Kumari Ravidas
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