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खुद को खोकर वो शक्स, वजूद अपना गॅवा गया। नजरो के

खुद को खोकर वो शक्स, वजूद अपना गॅवा गया। 
नजरो के फरेब से बच के, ना जाने वो कहा गया। 

मेरे गली मे रहती थी, एक उदास बला। 
आलम जो भी पूछा उसे, वो इस्क मे मारा गया। 

आज वही गली रह गई है, तन्हाई का मकान। 
पहले जोभी गुजरा गली से, उसे दर्द मे मारा गया। 

धूल मे मिला वो ख्वाब, जो देखते थे हम। 
दिल मे बसा था जो एहसास, ना जाने वो कहा गया।

©Er alam
  #khubsuratbala