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इक समय था.....इक सोच थी.....समय सोच का संगम था....

इक समय था.....इक सोच थी.....समय सोच का संगम था.....इस संगम में संतुष्टि थी....और संतुष्टि की सांसें थी......!

अब समय भी छूटा जाता है.....है कहीं पड़ी सी सोच शिथिल....न संगम.....और उचड़ी उचड़ी है श्वांसें भी.....!!

©Pushpvritiya 
  सुबह सुबह थोड़ी सी नकारात्मकता परोस दी सॉरी 😊🙏🏻
pushpad8829

Pushpvritiya

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सुबह सुबह थोड़ी सी नकारात्मकता परोस दी सॉरी 😊🙏🏻 #Poetry

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