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कभी जमीं तो कभी आसमाँ देखा…. जब देखा तुझे अपने रू

कभी जमीं तो कभी आसमाँ देखा….

जब देखा तुझे अपने रूबरू देखा….

क्या बयां करूँ इस वक़्त की साजिशें….!

मैंने नम आंखों से तुझे दूर होते देखा..।


इस तरह बिछड़ने का ख्याल ना था मुझे।

मैने बन्द मुट्ठी में ख़्वाब टूटता देखा।

घाव भी वो है जो दिखा नही सकते…

मैंने अपने अरमानो पर दूसरों को हंसते हुए देखा,

क्या बताऊँ दास्तां-ए-गम की तुम्हें, 

मैने खुद को गम आंखों से रोते हुए देखा…..


ललित पचौली

©Aaryan lalit #alone #Nojoto  mahi Khanna  Tripti Rai भारतीय संस्कृति सुलगते लफ़ज IG-:sulagte.lafj
कभी जमीं तो कभी आसमाँ देखा….

जब देखा तुझे अपने रूबरू देखा….

क्या बयां करूँ इस वक़्त की साजिशें….!

मैंने नम आंखों से तुझे दूर होते देखा..।


इस तरह बिछड़ने का ख्याल ना था मुझे।

मैने बन्द मुट्ठी में ख़्वाब टूटता देखा।

घाव भी वो है जो दिखा नही सकते…

मैंने अपने अरमानो पर दूसरों को हंसते हुए देखा,

क्या बताऊँ दास्तां-ए-गम की तुम्हें, 

मैने खुद को गम आंखों से रोते हुए देखा…..


ललित पचौली

©Aaryan lalit #alone #Nojoto  mahi Khanna  Tripti Rai भारतीय संस्कृति सुलगते लफ़ज IG-:sulagte.lafj