Nojoto: Largest Storytelling Platform

जितना सुलझाता हूँ उतने ही उलझते जाते हैं, मैं उस

जितना सुलझाता हूँ  उतने ही उलझते जाते हैं,

मैं उस पेड़ की शाख हूँ जिसकी जड़े आपस मे नहीं मिलती.. #जड़ें
जितना सुलझाता हूँ  उतने ही उलझते जाते हैं,

मैं उस पेड़ की शाख हूँ जिसकी जड़े आपस मे नहीं मिलती.. #जड़ें