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कुम्भल गढ़ में जन्म लिया, माटी का कर्ज चुकात

       कुम्भल गढ़ में जन्म लिया, माटी का कर्ज चुकाता था,
भारत माँ का वीर लाडला,दुश्मन का लहु बहाता था,

संकट कई निरंतर झेले, क्षण भर को ना घबराता था,
हर हर महादेव चिल्ला कर, दुश्मन को मार भगाता था,

मातृ प्रेम का अस्त्र था उस पर, देश प्रेम का भाला था,
चेतक पर होकर सवार, वो हुआ बहुत मत वाला था,
       कुम्भल गढ़ में जन्म लिया, माटी का कर्ज चुकाता था,
भारत माँ का वीर लाडला,दुश्मन का लहु बहाता था,

संकट कई निरंतर झेले, क्षण भर को ना घबराता था,
हर हर महादेव चिल्ला कर, दुश्मन को मार भगाता था,

मातृ प्रेम का अस्त्र था उस पर, देश प्रेम का भाला था,
चेतक पर होकर सवार, वो हुआ बहुत मत वाला था,

कुम्भल गढ़ में जन्म लिया, माटी का कर्ज चुकाता था, भारत माँ का वीर लाडला,दुश्मन का लहु बहाता था, संकट कई निरंतर झेले, क्षण भर को ना घबराता था, हर हर महादेव चिल्ला कर, दुश्मन को मार भगाता था, मातृ प्रेम का अस्त्र था उस पर, देश प्रेम का भाला था, चेतक पर होकर सवार, वो हुआ बहुत मत वाला था, #नमन #indianwriters #maharanapratap #भारत_माता_की_जय #nagvendrasharma #महाराणाप्रताप #महाराणा_प्रताप_जयंती