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ग़र इश्क मुकम्मल होता तो तेरे बाहों में सिमट कर र


ग़र इश्क मुकम्मल होता तो तेरे बाहों में सिमट कर रह जाती मेरी जवानी
शुक्र है दिल से तेरा जो बिछड़ कर मुझसे आजाद कर दी मेरी कहानी

©R.V. Chittrangad Mishra 9839983105
  
ग़र इश्क मुकम्मल होता तो तेरे बाहों में सिमट कर रह जाती मेरी जवानी
शुक्र है दिल से तेरा जो बिछड़ कर मुझसे आजाद कर दी मेरी कहानी

#chittrangadmishra

ग़र इश्क मुकम्मल होता तो तेरे बाहों में सिमट कर रह जाती मेरी जवानी शुक्र है दिल से तेरा जो बिछड़ कर मुझसे आजाद कर दी मेरी कहानी #Chittrangadmishra #शायरी

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