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दहाड़ से जिनकी काँपे थे गोरों के दिल दौड़ता था क्रा

दहाड़ से जिनकी
काँपे थे गोरों के दिल

दौड़ता था क्रान्ति का लहू
जिनकी धमनियों में हर पल

झुकना जिनको मन्जूर न था
न थी सरपरस्ती मन्जूर

हँसकर चूम ली थी रस्सियों को
गये थे फाँसी पर वो झूल

कर गये जिन्दगी अपनी
देश के नाम शहीद

ऋणी रहेगा देश अपना
जिनके तुम जैसे थे सपूत

जलेगा दीप ध्रुव तारे सा
तुम्हारी कुर्बानी का हर बरस

लगेगा  मेला यूँ ही तुम्हारी
शहीदी का हर बरस|

©vs dixit
  #शहीदीदिवस