प्रिय *****,
तुम बहुत अच्छी हो, बहुत जिम्मेवार हो, लायक हो, समझदार हो, प्यारे हो पर हर अच्छे इंसान से हम बेइंतहा मोहब्बत तो नहीं करते? हर प्यारे इंसान से हम शादी तो नहीं कर लेते? हर अच्छे रिश्ते को जीवनसाथी तो नहीं बना लेते?हम बहुत जल्दी किसी को जज कर लेते हैं, बहुत सारी बातें होती हैं, मजबूरियां होती हैं, अपेक्षाएं होती हैं, ख्वाहिश होती हैं, जो इंसान अपनी जीवनसंगिनी में देखना चाहता है। ये जो रिश्ता आप बनाने को इच्छुक हो ये पानी के बुलबुले के समान फूट जाएगा। मुझे देख कर मेरे परिवार के बारे में राय बनाना उचित नहीं है। हर फ़ैसला मैं अकेला नहीं ले सकता, ऊपर से जिस पेशे में मैं हूं, वो भी समाज में ग़लत संदेश देगा। आपकी उम्र और मेरी उम्र में बहुत अंतर है, वक़्त के साथ मनुष्य भावुक कम और प्रैक्टिकल ज्यादा होने लगता है। भावनाओं में बह कर परिवार की पूरी ज़िन्दगी ख़राब करना सही नहीं है। मैं माफ़ी चाहता हूं कि मैं आपको इतना कष्ट दिया, मेरे वजह से आपने इतने ख़्वाब देखे, इतनी उम्मीदें पाली। कहीं ना कहीं मैं ज्यादा जिम्मेदार हूं जो मैं आपको इतना आगे बढ़ने दिया। मैं बहुत शर्मिंदा हूं। आप आगे बढ़ो, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है, मैं ताउम्र आपका दोस्त हूं, आप जो कहोगे वो कर सकता हूं पर, विवाह मैं अपने माता- पिता के इच्छा से ही करूंगा। बात सिर्फ़ जाति की नहीं है, बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो समझाना संभव नहीं है और उचित भी नहीं है। #how