कुछ शब्द मुखौटा हैं, कुछ यादें चेहरा हैं ये कैसी भूल भुलैया है, जिसमें दरिया और सेहरा हैं ।। रातों की गर्मी है, सपनों की बेशर्मी चांद में सेहरा है, मन जिसमें बहरा है ।। ख्वाहिशों के खिलंदड़ हैं, होशोहवास के अंधड़ हैं हरिण की कुलांचे हैं, आंखों में बंजर हैं ।। ये रुह की गूंजें हैं, ख्वाजा की चाहत में मजार पर मन रखे, चट्टानें भी कंकर हैं ।। बादल यूँ बरसा है, बूंद बन यूँ सीने में इतराने लगे खुद पर, ख्वाबों के समंदर हैं ।।