सर्द हुई रातें अब लहर छाई प्यार की दिल मे जवाला धधक रही साजन इंतजार की। तुम बसे परदेश समझें न दिल की बात बन विरहिणी मन मेरा राह तके बार बार। तन्हाई चुभ रही रजाई भी बोझ लगे तकिया भी ठंड़ मे आंसुओं मे भीग रही। ©Naresh Chandra सर्द हुई रातें अब लहर छाई प्यार की दिल मे जवाला धधक रही साजन इंतजार की। तुम बसे परदेश समझें न दिल की बात बन विरहिणी