Nojoto: Largest Storytelling Platform

देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे इर्षा करने कगी है ध

देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे
इर्षा करने कगी है धरती की  भटकती हुई
आत्माओ से
क्यिंकि  उन्हे  पृथ्वी के सुख दुख  से मिलने  वाले आनद को  चखने  का अभी तक सौभाग्य  मिला नहीं
देवलोक के  अपार ऐशो आराम के सुख भोगते भोगते अब वे ऊब चूके है
और अगर  ये  स्थिति  आगे भी कायम रही तो
उनकी ऊब खुदकशी मे रूपात्रित हो सकती है
तो तब तक मैं क्यो न करू कोशिश पृथ्वी की
आत्माओं को  ये समझने की कि धरती का
सुख मिश्रित दुख. पीते  रहे  ताकि कभी
ऊब से उनका सामना न हो सके   और  खुदकशी
के लिए कभी मन न बनाना पडे

©Parasram Arora देवलोक कीं  रूहे 

#FindingOneself
देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे
इर्षा करने कगी है धरती की  भटकती हुई
आत्माओ से
क्यिंकि  उन्हे  पृथ्वी के सुख दुख  से मिलने  वाले आनद को  चखने  का अभी तक सौभाग्य  मिला नहीं
देवलोक के  अपार ऐशो आराम के सुख भोगते भोगते अब वे ऊब चूके है
और अगर  ये  स्थिति  आगे भी कायम रही तो
उनकी ऊब खुदकशी मे रूपात्रित हो सकती है
तो तब तक मैं क्यो न करू कोशिश पृथ्वी की
आत्माओं को  ये समझने की कि धरती का
सुख मिश्रित दुख. पीते  रहे  ताकि कभी
ऊब से उनका सामना न हो सके   और  खुदकशी
के लिए कभी मन न बनाना पडे

©Parasram Arora देवलोक कीं  रूहे 

#FindingOneself

देवलोक कीं रूहे #FindingOneself #कविता