देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे इर्षा करने कगी है धरती की भटकती हुई आत्माओ से क्यिंकि उन्हे पृथ्वी के सुख दुख से मिलने वाले आनद को चखने का अभी तक सौभाग्य मिला नहीं देवलोक के अपार ऐशो आराम के सुख भोगते भोगते अब वे ऊब चूके है और अगर ये स्थिति आगे भी कायम रही तो उनकी ऊब खुदकशी मे रूपात्रित हो सकती है तो तब तक मैं क्यो न करू कोशिश पृथ्वी की आत्माओं को ये समझने की कि धरती का सुख मिश्रित दुख. पीते रहे ताकि कभी ऊब से उनका सामना न हो सके और खुदकशी के लिए कभी मन न बनाना पडे ©Parasram Arora देवलोक कीं रूहे #FindingOneself