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सच कहने की हिम्मत खोते जा रहे हैं बोलने वाले गूंग

सच कहने की हिम्मत खोते जा रहे हैं 
बोलने वाले गूंगे होते जा रहे हैं

सब के बस की नहीं है दुनिया दानिशमंदो
रोते हुए आए थे रोते जा रहे हैं

जिन बागों में होने थे बस फूल के पौधे
उन बागों में कांटे बोते जा रहे हैं

हम झूठे हैं और हमारी दुनिया झूठी
हम सच से कितने दूर होते जा रहे हैं

ख़ुद से और बढ़ानी थी हमको नज़दीकी 
ख़ुद ही ख़ुद से दूर होते जा रहे हैं

©Nivedan Mishra
  #झूठी_दुनिया