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बोझिल सा मन सोचे पल -पल थक सा गया है मन जिंदगी के

बोझिल सा मन सोचे पल -पल

थक सा गया है मन जिंदगी के बोझ से
अब मौत आ जाए तो अच्छा है।।

ना दुख है कोई जिंदगी में 
ना कह सकती हूं सुखी हूं मैं
ना कोई असुविधा है मुझे 
ना कह सकती हूं संपूर्णता में हूं मैं

ना दुख है कोई मुझे 
ना कह सकती हूं खुश हूं मैं
ना परवाह है मुझे किसी बात की 
ना कह सकती हूं बेपरवाह हूं मैं 

ना संग है कोई मेरे ना 
कह सकती हूं तन्हा हूं मैं 
ना बुझे  है रंग जिंदगी के
 ना कह सकती हूं ख्वाहिशों में जिंदा हूं मैं

ना भार है कोई मुझ पर
 फिर भी बोझिल हूं मैं
 ना रंग है जिंदगी मैं कोई 
ना कह सकती हूं कि बेरंग हूं मैं

ना संग है किसी का
ना निसंग हूं मैं
ना डोर है कोई मुझसे बंधी 
ना जाने क्यों कटी पतंग-सी हूं मैं

थक सा गया है मन जिंदगी के बोझ से
 अब मौत आ जाए तो अच्छा है।।🙇🙇

©पूर्वार्थ #बोझिल
#मन_की_बात 
#नोजोटोहिंदी
बोझिल सा मन सोचे पल -पल

थक सा गया है मन जिंदगी के बोझ से
अब मौत आ जाए तो अच्छा है।।

ना दुख है कोई जिंदगी में 
ना कह सकती हूं सुखी हूं मैं
ना कोई असुविधा है मुझे 
ना कह सकती हूं संपूर्णता में हूं मैं

ना दुख है कोई मुझे 
ना कह सकती हूं खुश हूं मैं
ना परवाह है मुझे किसी बात की 
ना कह सकती हूं बेपरवाह हूं मैं 

ना संग है कोई मेरे ना 
कह सकती हूं तन्हा हूं मैं 
ना बुझे  है रंग जिंदगी के
 ना कह सकती हूं ख्वाहिशों में जिंदा हूं मैं

ना भार है कोई मुझ पर
 फिर भी बोझिल हूं मैं
 ना रंग है जिंदगी मैं कोई 
ना कह सकती हूं कि बेरंग हूं मैं

ना संग है किसी का
ना निसंग हूं मैं
ना डोर है कोई मुझसे बंधी 
ना जाने क्यों कटी पतंग-सी हूं मैं

थक सा गया है मन जिंदगी के बोझ से
 अब मौत आ जाए तो अच्छा है।।🙇🙇

©पूर्वार्थ #बोझिल
#मन_की_बात 
#नोजोटोहिंदी