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हौसले देख तुम्हें, सीखते सर झुकाते हैं.. निश्छल प्

हौसले देख तुम्हें,
सीखते
सर झुकाते हैं..
निश्छल प्रेम 
समर्पण के आगे
बाधाएं थककर
हार जाते हैं।।

चिंताएं सब,
पीकर माँ
धीर तुम कैसे 
धर लेती हो

निश्छल मन,
निर्मोही होकर
अम्मा, इतना सब
कैसे कर लेती हो?

सोचता हूँ
कभी कभी
मिट्टी,पानी
धूप एक सी

हम दोनों ही पाते हैं
फिर कहाँ
स्नेह लुटाने
हम पीछे ही
रह जाते हैं

माँ पीछे ही 
रह जाते ह

#bhor #amma #maa #love #poems

©Shivangi Priyaraj
  #surya