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"हर रोज़ कविता गजल या गीत नही लिख सकता है कोई कि

"हर रोज़ कविता
गजल या गीत
 नही लिख सकता है कोई 
किसी रोज मरसिया 
भी लिखना पडता है 
जब मरसिया लिखना पडता है 
तब दर्द भी झेलता है कोई " मरसिया
"हर रोज़ कविता
गजल या गीत
 नही लिख सकता है कोई 
किसी रोज मरसिया 
भी लिखना पडता है 
जब मरसिया लिखना पडता है 
तब दर्द भी झेलता है कोई " मरसिया