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​कहीं दूसरे आँगन, ​अम्मा-बाबू, ​तरसत रही गईलां, ​र

​कहीं दूसरे आँगन,
​अम्मा-बाबू,
​तरसत रही गईलां,
​रोज-रोज रोई-रोई कै,
​अपने हिया के ​खूब समझवलन,
​अँखियन के बहत,,अँसुअन से,
​जरत जिया कै ​अपने बुझवलन,
​ईहे करत बितल उमरिया,
​बूढ़ा-बूढ़ी बिलखत-बिलखत 
जग ​छोड़ गईना दूनो परनिया,
​अईलां लईका सुझाईल तब,
​घर बँटलां,,धरती बँटलां,
​खड़ कईकै दिवार अँगना में,
​अम्मा-बाबू के एगो सपना कै,
​दू कई देहलां..।। #अपार_दुःख..
हमारी यह रचना उन माँ -बाप आधारित है जो अपनी सामर्थ्य से एक सुंदर सपने के घर का निर्माण करते हैं.. तथा अपने बच्चों का उनके बड़े होने तक यथावत खूब पालन पोषण करते हैं.. उनकी माँगों मे कोई कमी कभी भी नही करते हैं.. पर यही माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं तो इन बच्चों के लिए बोझ बन जाते हैं.. जब जीवन के उस क्षण मे उन माँ बाप को अपने बच्चों की सर्वाधिक आवश्यकता होती है तो..तभी वे बच्चे उन्हें बेसहारा कर जाते हैं..
और ये बेचारे माँ बाप दिन रात रो रो कर बस एक ही आस मे जीते हैं तथा मर जाते हैं कि
​कहीं दूसरे आँगन,
​अम्मा-बाबू,
​तरसत रही गईलां,
​रोज-रोज रोई-रोई कै,
​अपने हिया के ​खूब समझवलन,
​अँखियन के बहत,,अँसुअन से,
​जरत जिया कै ​अपने बुझवलन,
​ईहे करत बितल उमरिया,
​बूढ़ा-बूढ़ी बिलखत-बिलखत 
जग ​छोड़ गईना दूनो परनिया,
​अईलां लईका सुझाईल तब,
​घर बँटलां,,धरती बँटलां,
​खड़ कईकै दिवार अँगना में,
​अम्मा-बाबू के एगो सपना कै,
​दू कई देहलां..।। #अपार_दुःख..
हमारी यह रचना उन माँ -बाप आधारित है जो अपनी सामर्थ्य से एक सुंदर सपने के घर का निर्माण करते हैं.. तथा अपने बच्चों का उनके बड़े होने तक यथावत खूब पालन पोषण करते हैं.. उनकी माँगों मे कोई कमी कभी भी नही करते हैं.. पर यही माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं तो इन बच्चों के लिए बोझ बन जाते हैं.. जब जीवन के उस क्षण मे उन माँ बाप को अपने बच्चों की सर्वाधिक आवश्यकता होती है तो..तभी वे बच्चे उन्हें बेसहारा कर जाते हैं..
और ये बेचारे माँ बाप दिन रात रो रो कर बस एक ही आस मे जीते हैं तथा मर जाते हैं कि
akalfaaz9449

AK__Alfaaz..

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#अपार_दुःख.. हमारी यह रचना उन माँ -बाप आधारित है जो अपनी सामर्थ्य से एक सुंदर सपने के घर का निर्माण करते हैं.. तथा अपने बच्चों का उनके बड़े होने तक यथावत खूब पालन पोषण करते हैं.. उनकी माँगों मे कोई कमी कभी भी नही करते हैं.. पर यही माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं तो इन बच्चों के लिए बोझ बन जाते हैं.. जब जीवन के उस क्षण मे उन माँ बाप को अपने बच्चों की सर्वाधिक आवश्यकता होती है तो..तभी वे बच्चे उन्हें बेसहारा कर जाते हैं.. और ये बेचारे माँ बाप दिन रात रो रो कर बस एक ही आस मे जीते हैं तथा मर जाते हैं कि #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqthoughts #yqpoetry #yqsahitya