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मेरे यार मेरी खामोशी की आज़माइश ना कर ज़ख़्म मेर

 मेरे यार मेरी खामोशी की आज़माइश ना कर 
ज़ख़्म मेरे भी हैं, जख्मों की नुमाइश* ना कर
साथ दे तो कयामत* तक वरना रुखसत* कर दे 
यूं बार-बार मुड़कर लौटने की ख्वाहिश न कर।

©Shubham Joshi
  नुमाइश- affectation
कयामत- last/dooms day
रुखसत- permission to depart

नुमाइश- affectation कयामत- last/dooms day रुखसत- permission to depart #शायरी

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