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“सफ़र यहीं तक था उसके साथ” आती है

               “सफ़र यहीं तक था उसके साथ”

आती है आने दे ,
दिल को आँखों को रुलाने दे ।

               कितने दिन आयेगी याद उसकी ,
               ये तू ख़ुद को समझाने दे ।

दूरियाँ तूने उससे जानबूझकर नहीं कीं,
शायद सफ़र यहीं तक था उसके साथ ।

               हाँ माना कि भुलाना उसे मुमकिन नहीं ,
               पूछते रहना हाल, करके बात उसके साथ ।

जब लगे कि उसे तेरी याद 
अब कम सताने लगी है ।

                तेरी आँखों में भी आंसुओं की जगह 
                वस नमी आने लगी है ।

उसे दूरियाँ बढ़ाने देना , 
उसकी राह पर उसे जाने देना ।

                तू ख़ुद को दे तसल्ली, की वो दूर नहीं , 
                पास है तेरे, इस दिल की तड़प बुझाने दे ।

आती है आने दे….

©Ravindra Singh
  “सफ़र यहीं तक था उसके साथ”

आती है आने दे ,
दिल को आँखों को रुलाने दे ।

कितने दिन आयेगी याद उसकी ,
ये तू ख़ुद को समझाने दे ।

“सफ़र यहीं तक था उसके साथ” आती है आने दे , दिल को आँखों को रुलाने दे । कितने दिन आयेगी याद उसकी , ये तू ख़ुद को समझाने दे । #Poetry

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