कभी-कभी मेरी बोतल से, जरा सा पानी पी लेता है, तो कभी-कभी बगैर पूछे, मेज़ से चीज़ो को उठा लेता है। कभी-कभी यूँ ही बैठे-बैठे नयी कुर्सी की पोलोथिन को, अपने नाखूनों पर बांधकर, मेरे हाथ पर जोर से खींच देता है। कभी-कभी बस यूँ ही पूंछ बैठता है, कि मेरे से डिस्टर्ब तो नहीं हो रहा, फिर भी ना जाने क्यों वो मेरे पास बैठता है। हाँ, वो मेरे से बातें नहीं करता है, फिर भी ना जाने क्यों वो, बेवजह यूँ ही देखकर मुस्करा देता है। कभी-कभी मेरी बोतल से, जरा सा पानी पी लेता है, तो कभी-कभी बगैर पूछे, मेज़ से चीज़ो को उठा लेता है। कभी-कभी यूँ ही बैठे-बैठे नयी कुर्सी की पोलोथिन को, अपने नाखूनों पर बांधकर,