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इस अथाह ज़मीं पर एक टुकड़ा हमारा हो, जिस पर खड़ा छोट

 इस अथाह ज़मीं पर एक टुकड़ा हमारा हो,
जिस पर खड़ा छोटा सा आशियाँ हमारा हो,
तेरी चमकती आँखों से रौशन हो कोना-कोना
तेरी ख़ुशबू से महकता बगीचा सारा हो,
ख़्वाहिश है जब तक दें साँसें साथ मेरा,
तेरी मुस्कान के साथ, मेरा हर सवेरा हो..!!

©Prashant Shakun "कातिब"
  #बस_यूं_ही  #प्रशांत_शकुन_कातिब