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ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम सावन

ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम
 सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम
 ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम
 प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम
 चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम
 क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम
 सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम
 मेरे जीवन का वैराग्य हो, प्रिये, वास्तव में अमूल हो तुम
 अतुलनीय हो तुम प्रिये, 
 ओस की शीतल बूंदों से भरी हुई अंजुल हो तुम
 अनुराग तुम्हारा अनुपम है, 
 निर्मल पावन मंजुल हो तुम
न तितली ना भंवरा, ना नाचता  मयूर हो तुम
 मेरे अंतर्मन के स्पंदन में
 क्रंदन गुंजित, प्रेम का ही नूपुर हो तुम

©Verma Priya #Poetry #poem #Quote #Shayari #story #Nojoto #me #my #na 
ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम
 सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम
 ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम
 प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम
 चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम
 क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम
 सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम
ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम
 सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम
 ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम
 प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम
 चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम
 क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम
 सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम
 मेरे जीवन का वैराग्य हो, प्रिये, वास्तव में अमूल हो तुम
 अतुलनीय हो तुम प्रिये, 
 ओस की शीतल बूंदों से भरी हुई अंजुल हो तुम
 अनुराग तुम्हारा अनुपम है, 
 निर्मल पावन मंजुल हो तुम
न तितली ना भंवरा, ना नाचता  मयूर हो तुम
 मेरे अंतर्मन के स्पंदन में
 क्रंदन गुंजित, प्रेम का ही नूपुर हो तुम

©Verma Priya #Poetry #poem #Quote #Shayari #story #Nojoto #me #my #na 
ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम
 सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम
 ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम
 प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम
 चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम
 क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम
 सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम

#Poetry #poem #Quote #Shayari #story # #me #my #na ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम #कविता