#Poetry#poem#Quote#Shayari#story # #me#my#na
ना चंपा गुलाब ना लिली, ना चंदन की धूल हो तुम
सावन की बारिश में भीगी, सोंधी मिट्टी सी मृदुल हो तुम
ना झरना ना सरोवर ना कमल की गुल हो तुम
प्रेम के अमृत से भरी सागर सी विपुल हो तुम
चूल्हे की आंच सी सोंधी, पर मत समझो फिजूल हो तुम
क्रीड़ा करते बच्चे सी मलीन,पर मेरे हृदय की बिगुल हो तुम
सरसों के फूलों से लहलहाती, धरा की सुंदरता का मूल हो तुम #कविता