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सारी दुनिया में परिभ्रमण करके, हमने देखा है आक

सारी दुनिया में परिभ्रमण करके, 
हमने  देखा  है  आकलन करके, 

बात  बनती   विनम्रता   से   ही, 
निकलता काम  भी नमन करके, 

कुफ्र  बकते  सुना  देखा उनको, 
निकल जाते हैं विष वमन करके, 

कैसे   अपनत्व    बढ़ेगा   बोलो, 
राज करते हो तुम सितम करके, 

तुम्हारी  बौखलाहट  है  जायज, 
दर्द   का   घूँट  आचमन  करके, 

यही है ख़ासियत ज़महुरियत की, 
बची सत्ता न जुल्म सितम करके, 

रखा अक्षुण्ण सम्प्रभुता वतन की, 
प्राण  तक  राष्ट्र  पर  हवन करके, 

सियासत का नशा है स्वार्थपरता, 
लोग  बैठे  हैं  सब  हजम  करके, 

खड़ा पहली कतार में नया भारत, 
चन्द्रयान  चाँद  पर  गमन  करके, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #नया भारत#
सारी दुनिया में परिभ्रमण करके, 
हमने  देखा  है  आकलन करके, 

बात  बनती   विनम्रता   से   ही, 
निकलता काम  भी नमन करके, 

कुफ्र  बकते  सुना  देखा उनको, 
निकल जाते हैं विष वमन करके, 

कैसे   अपनत्व    बढ़ेगा   बोलो, 
राज करते हो तुम सितम करके, 

तुम्हारी  बौखलाहट  है  जायज, 
दर्द   का   घूँट  आचमन  करके, 

यही है ख़ासियत ज़महुरियत की, 
बची सत्ता न जुल्म सितम करके, 

रखा अक्षुण्ण सम्प्रभुता वतन की, 
प्राण  तक  राष्ट्र  पर  हवन करके, 

सियासत का नशा है स्वार्थपरता, 
लोग  बैठे  हैं  सब  हजम  करके, 

खड़ा पहली कतार में नया भारत, 
चन्द्रयान  चाँद  पर  गमन  करके, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #नया भारत#