एक फूल, एक चेहरा एक साथ उबरा था मन के कैनवास पर, अहसासों, अनुभवों, जरूरतों और प्यार की रेखाओं से सज कर, आखिर मचल उठी दिल की तूलिका "बीसवां" बसंत पार कर, रंगहीन रह गयी जीवन की अल्पना, वो मधुर कल्पना बनाया था जिसे दिल थाम कर मुरझा गयी रेखाएं झर गया फूल, टूट गयी तूलिका और बिखर गए रंग कैनवास पर | in