चल एक आसियान बनाये हर्फ़ दर हर्फ़ कुछ खट्टे मिठ्ठे ख्वाब सजाये नहीं सफर को मंजिल नसीब तो क्या कुछ पल तो साथ, धुन कुछ मधुर गुनगुनाये चल ये किराये का मकां ही सही इस आँगन ही सुबहारी सूरज और तुलसी को जल चढ़ाएं चल एक आसियान बनाये।। #Amashish #syahi #Amashish #syahi