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की जब जख्म ही देनें लगे, मेरे जख्मों के मरहम तो,

की जब जख्म ही देनें लगे,  मेरे जख्मों के मरहम तो, 
हम रो पड़े अपनी यादों का जनाजा लेकर।
दुनीया संभलने लगी हमे देखकर, 
हम भी संभल गये दुनीया का तकादा देखकर।

©‘ राघव ’इंदौरी का चेला
  #takada dekh ker

#takada dekh ker #शायरी

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