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विरह का फूल मिलन के जूडे मे टांग देने से भी

विरह का  फूल  मिलन के जूडे  मे  टांग  देने से भी  प्रेम  उल्लास और  उत्साह का अनुसरण  कर नहीं पाता..... क्योंकि जो प्रेम  एक बार सौहार्द की  पटरी से  पदच्चुत   हुआ  उस प्रेम पर अविश्वास  के कोहरे  की घनी  परत  चढ़ जाती है... और वो प्रेम अपनी पारदर्शिता खोने   लगता है प्रेम की पारदर्शिता
विरह का  फूल  मिलन के जूडे  मे  टांग  देने से भी  प्रेम  उल्लास और  उत्साह का अनुसरण  कर नहीं पाता..... क्योंकि जो प्रेम  एक बार सौहार्द की  पटरी से  पदच्चुत   हुआ  उस प्रेम पर अविश्वास  के कोहरे  की घनी  परत  चढ़ जाती है... और वो प्रेम अपनी पारदर्शिता खोने   लगता है प्रेम की पारदर्शिता