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बजा कर तुम मधुर मुरली, हरो हर पीर हे मोहन। जगा कर

बजा कर तुम मधुर मुरली, हरो हर पीर हे मोहन।  जगा करभाव भक्तिका,जगह चरणों में दो मोहन।
सुना है सुन के धुन मुरली का,गम सारे हैं मिट जाते।2
सुना धुन ऐसी ही मुझको, हरो संताप हे मोहन।
बनाई तेरी माया में,भटकता है ये मन चंचल 2
भटक पाये न मन मेरा, लगन चरणों में दो मोहन।
किया तन मन तुझे अर्पण, दयासिंधु हे गिरिधारी 2
सिवा तेरे नहीं कोई, पकड़ लो हाथ हे मोहन।
अधम,पापी को तारे हो,जो आया है,शरण तेरी।2
दया मुझ पे भी कर दोगे,तो क्या हो जायेगा मोहन।

©नागेंद्र किशोर सिंह
  बजा कर तुम मधुर मुरली।

बजा कर तुम मधुर मुरली। #कविता

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