प्रेम में युगल प्रेमी लिप्त हैं है खुलापन फिर भी संक्षिप्त है ढोंग है चहुं ओर,और कुछ नहीं मानसिकता इस कदर विक्षिप्त है शौकिया ये प्रेम ही आधार है चंद चीजों का महज व्यापार है अब कहां वो सादगी इसमें रही है कुटिल,अब प्रियतमा व्यभिचार है हृदय का आलिंगन विरक्त है झूठ मे ही प्रेम अब आश्वस्त हैं विडंबना भी देखिए कुछ इस तरह मृत भी है अब प्रेम फिर भी स्वस्थ है। ©अनुज #Love #Hindi #poem #Nojoto #true