" तुम से हर रोज कहीं ना कहीं सामना होता रहेगा ,
तुम होंगे अनजान कुछ वेखबर से ऐसे में दिल में जगह बनाते रहोगे ,
तुम मिल के ना मिले तो क्या हुआ ये हसरतें आरज़ू बरकरार रहेगी ,
तुम रोज किसी ना किसी बहाने तुम मिलना हो जाया करेगा . "
--- रबिन्द्र राम
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