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जब विवेक पर जड़ा हो ताला, फिर उसका रब ही रखवाला,

जब विवेक पर जड़ा हो ताला,
फिर उसका  रब ही  रखवाला, 

भाग   रहा   माया   के   पीछे, 
अमृत  छोड़  पिये  नित हाला, 

मन    मायानगरी    में   रहता, 
किन्तु  गले   में  कण्ठी-माला,

सत,रज,तम में प्रबल तामसी, 
घर को  बना लिया  मधुशाला, 

जीवन   पुष्प    रहे   मुरझाते, 
दुनिया  को  तबाह  कर डाला, 

संगति  का  है  असर  यही तो, 
ज्योति बिना जग में सब काला,

गलत   राह   सीख   दे  'गुंजन',
पाँव में पड़ता  दुःख का छाला, 
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #जड़ा हो ताला#
जब विवेक पर जड़ा हो ताला,
फिर उसका  रब ही  रखवाला, 

भाग   रहा   माया   के   पीछे, 
अमृत  छोड़  पिये  नित हाला, 

मन    मायानगरी    में   रहता, 
किन्तु  गले   में  कण्ठी-माला,

सत,रज,तम में प्रबल तामसी, 
घर को  बना लिया  मधुशाला, 

जीवन   पुष्प    रहे   मुरझाते, 
दुनिया  को  तबाह  कर डाला, 

संगति  का  है  असर  यही तो, 
ज्योति बिना जग में सब काला,

गलत   राह   सीख   दे  'गुंजन',
पाँव में पड़ता  दुःख का छाला, 
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #जड़ा हो ताला#