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कुछ तो हवाएँ ज़हरीली हैं सती पल पल मर रहे हैं ज़िंदा

कुछ तो हवाएँ ज़हरीली हैं सती
पल पल मर रहे हैं ज़िंदा लोग

अहसास बस ख़ुद के ही ज़िंदा हैं
लोगों को खल रहे हैं लोग

प्यार बस शब्द पढ़ा है किताबों में
सच बस, ज़िद में अड़ रहे हैं लोग

©Sandeep Sati
  #दोटूक