चारों ओर है रेत का समंदर दूर तक है बंजर ही बंजर। ना दिखता कोई आदमी यहां बस है खामोशियों का मंजर। गर्म हवाएं चिलचिलाती धूप न कहीं पेड़ों का नामोनिशान। मरूस्थल की सैर रेगिस्तान के जहाज से है संभव। #मरुस्थल_की_सैर #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *मरुस्थल की सैर* Any writer can write anything but *remember the rule* *RULES*📜-