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Naveen Dutt
New Year 2025 A New Year's Rise 2025 The clock has turned, a year now gone, The dawn of hope, a brighter dawn. Each day ahead, a page to write, A story forged in morning light. The past may linger, lessons stay, But don't let fear stand in your way. For dreams that whispered, quiet, small, Can bloom this year—yes, have it all. Step boldly forth, your path is clear, Fuel every hope, outshine each fear. Resilience strong, your heart ablaze, The world will marvel at your ways. Embrace the challenge, seize the climb, Each setback just a test of time. The power's yours; the spark's within, This year's your stage—let life begin! So greet the dawn with lifted eyes, This year, my friend, you're set to rise. With courage, kindness, strength anew, The best of years belongs to you. ©Naveen Dutt #newyear2025 #2025 #newday #newbeginning #newChallenge #newchapter poetry
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read moreashutosh anjan
जवानी बचपन से रूठ जाए तब किसे आश्ना कहिए, ज़िंदगी के रंगीन चरणों को आप इक हसीं हादसा कहिए। शब-ए-रात को दीदार आपका और धड़कनों का तेज़ होना, 'आशु' दिल के फ़िगार होने को मोहब्बत की इब्तिदा कहिए। #ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is ज़िन्दगी के रंगीन चरण
#ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz #newChallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is ज़िन्दगी के रंगीन चरण
read moreashutosh anjan
ख़्वाबों की ज़ुस्तज़ू है आँखे बेदार होती जा रही है, साँसे बंद नही लेकिन दुश्वार होती जा रही है। ख़्वाहिशों का भार जैसे कंधों पर बढ़ता गया, दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी तलवार होती जा रही है। यक़ीनन मेरी जिंदगी एक खुली क़िताब जैसी है, मेरा सफ़र उन सवालों की ताबीर होती जा रही है। तेरे सवालों का शोर इस क़दर फैला है मेरे ज़हन में, मेरी आँखें तेरे जवाबों का पैगाम होती जा रही है। सोचता हूँ नज़रें बदल लें या फिर नज़रिया अपना, ग़म-ए-इश्क़ मेरे नज़रों का इल्ज़ाम होती जा रही है। अब तो दरख्तों पर भी नए नए फूल उग आए है, एक उम्मीद ही है मेरी जो अब तक मुरझा रही है। तक़दीर की स्याही से लिखीं और ज़िन्दगी होगी आशु, तभी ज़िंदगी रोज़ नया इश्तिहार होती जा रही है। कैप्शन में भी पढ़े।👇 ख़्वाबों की ज़ुस्तज़ू है आँखे बेदार होती जा रही है, साँसे बंद नही लेकिन दुश्वार होती जा रही है। ख़्वाहिशों का भार जैसे कंधों पर बढ़ता गया, दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी तलवार होती जा रही है।
कैप्शन में भी पढ़े।👇 ख़्वाबों की ज़ुस्तज़ू है आँखे बेदार होती जा रही है, साँसे बंद नही लेकिन दुश्वार होती जा रही है। ख़्वाहिशों का भार जैसे कंधों पर बढ़ता गया, दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी तलवार होती जा रही है।
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पहली बारिश में बर्क़ गिरा के तो देख चाहत को अदा-ए-ख़ास बनाकर तो देख हिज़ाब चेहरें से थोड़ा हटा कर तो देख अपनी पलकें जरा ऊपर उठा कर तो देख नज़रों से नज़रें को मिला कर तो देख वो होठों पर मुस्कुराहट लाकर तो देख चिराग़ इश्क़ का दिल मे जलाकर तो देख ज़ानिब सबा-ए-मोहब्बत बहाकर तो देख रंग हया का चेहरें पर लगाकर तो देख सब छोड़कर आऊँगा बुलाकर तो देख एक बार दुआ में हाथ फैलाकर तो देख बस एक दफ़ा ख़ुदा को मनाकर तो देख मुमक़िन है तेरी आख़िरी मंज़िल मैं ही हूँ इल्म हो जाएगा तुझें दूर जाकर तो देख। Read in caption also पहली बारिश में बर्क़ गिरा के तो देख चाहत को अदा-ए-ख़ास बनाकर तो देख हिज़ाब चेहरें से थोड़ा हटा कर तो देख अपनी पलकें जरा ऊपर उठा कर तो देख नज़रों से नज़रें को मिला कर तो देख वो होठों पर मुस्कुराहट लाकर तो देख चिराग़ इश्क़ का दिल मे जलाकर तो देख
Read in caption also पहली बारिश में बर्क़ गिरा के तो देख चाहत को अदा-ए-ख़ास बनाकर तो देख हिज़ाब चेहरें से थोड़ा हटा कर तो देख अपनी पलकें जरा ऊपर उठा कर तो देख नज़रों से नज़रें को मिला कर तो देख वो होठों पर मुस्कुराहट लाकर तो देख चिराग़ इश्क़ का दिल मे जलाकर तो देख
read moreashutosh anjan
अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई, ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई। किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है, याद मुझकों तो आज भी आता नही कोई। जज़्बातों के बिखरें मोती समेट लिए उस दिन, जिस दिन इश्क़ की आख़िरी कली मुरझाई कोई। तेरे पयाम से मुलाक़ात होती है ख़्यालों मे अक़्सर, बस ख़्वाबों तक है हक़ीक़त में नही जताता कोई। सबा की वो छुअन मेरे बदन में बेक़सी बढ़ाती है, मालूम होता है फ़िज़ाओं में ज़हर मिलाता है कोई। इस जहाँ में बे-नियाज़ी से बढ़कर कोई सज़ा नही, जिसे मर्ज़-ए-इश्क़ हो ठीक नही करती उसे दवा कोई। इंतज़ार ऐतबार तकरार आज भी अच्छा लगता है मुझें, होश में नही हूँ 'आशु'फिर भी ना कहें मुझें आशिक़ कोई। (please Read in caption also) अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई, ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई। किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है, याद मुझकों तो आज भी आता नही कोई। जज़्बातों के बिखरें मोती समेट लिए उस दिन,
(please Read in caption also) अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई, ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई। किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है, याद मुझकों तो आज भी आता नही कोई। जज़्बातों के बिखरें मोती समेट लिए उस दिन,
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अहल-ए-ख़्वाहिशों को कभी दर-पर्दा नही करते, शायद हम ही गलत थे फिर भी तल्खियां नही करतें। मेरे पहलू में जो भी रहा वो ख़्वाब था या हक़ीक़त , हम मुक़द्दर की शिकायत कभी ख़ुदा से नही करते। #शायद_हम_ही_गलत_थे_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *शायद हम ही गलत थे* Any writer can write anything but *remember the rule*
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read moreashutosh anjan
वजूद की तलाश में ख़ुद अपना घर छोड़ आए है, सुना है हमनें घनी धूप के बाद बहारों के साये है। दुनिया की हक़ीक़त का इल्म जरा देर से हुआ हमें जब काँटो से बचकर हमनें फूलों से ज़ख्म खाए है। बरखा बादल से निकलीं बिजलियां भी लायी संग, ज़मी की प्यास बुझी लेकिन सैकडों घर जलाए है। मन की उलझनें रही या कोई तसव्वुर-ए-जाना, इसी कश्मकश में ख़ुद लौ-ए-इश्क़ के बुझाए है। तग़ाफ़ुल उम्र भर जिनकों बेइंतहा करते रहे हम, ग़ज़ल बताकर जिंदगी ने उसी के किस्से सुनाए है। उम्मीदों तोहमतों रुसवाइयों का बोझ रहा "आशु", पलकों पर भार रखकर भी हम ख़ूब मुस्कुराए है। #मन_की_उलझन_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *मन की उलझन* Any writer can write anything but *remember the rule*
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read moreAkshay Sonar™
अनजान रास्ते मंजिल एक थी इस दिल की ख्वाहिश तो सिर्फ तुम ही तो थी ये बात तो सिर्फ एक रिश्ते की थी मोहब्बत को ठुकराकर जिद्द मोहब्बत पाने की थी #अनजान_रास्ते,_मंज़िल_एक_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is अनजान रास्ते, मंज़िल एक
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
जीवन को अपने हम दोनों मिलकर खुशनुमा बनाएंगे। जीवन के सफर में साथ चलेंगे हर दूरी को हम मिटायेंगे। थामे रखना तुम हाथ मेरा हर अंजानी टेडी मेंडी डगर में। हर अनजानी राह को अपने प्यार से हम सजाते जाएंगे। साथ चलेंगे मिलकर दोनों तो हर मुश्किल पार कर जाएंगे। अनजान रास्ते मंजिल एक है दोनों मिलकर कदम बढ़ाएंगे। आज नहीं तो कल मंजिल को अपनी पाकर ही दिखाएंगे। खड़ी हो चाहे राहों में कितनी भी दीवारें उनको गिराएंगे। अपने प्यार के हौसलों को हम हरदम ही बढाते जाएंगे। इसी दुनियां में अपने प्यार का छोटा सा जहां बनाएंगे। खुश रहेंगे हर हाल में खुद को सफल बना कर दिखाएंगे। जीवन में प्यार के रंग भरेंगे प्यार से ही रंगीन बनायेगें। हम अपने जीवन की नींव प्रेम और विश्वास पर टिकाएंगे। अपने प्रेम के रिश्ते में कभी कोई दरार नहीं आने देंगे। जीवन भर जीवनसाथी बनकर रहेगें अपना प्यार निभाएंगे। प्यार से जिएंगे और दूसरों को भी प्यार से ही जीना सिखायेंगे। -"Ek Soch" #अनजान_रास्ते,_मंज़िल_एक_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is अनजान रास्ते, मंज़िल एक
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
जीवन है जन्म-मरण के बीच का खेला, चलता रहता यूं ही रेला। कभी गमों के सागर जैसा, कभी होता है यहां खुशियों का मेला। पहली अवस्था बाल्यावस्था, होता सब कुछ बहुत रंग रंगीला। खेल- खिलौने, गुड्डे- गुड़िया दिल बेफिक्री से पूरा भरा है होता। नहीं होती कोई चिंता, न होता है कोई कांधों पर बोझ का झोला। चेहरे पर मुस्कान लिए हरदम ही, बचपन करता रहता खेला। दूजी अवस्था किशोरावस्था, होने लगता है मन थोड़ा छैल छबीला। मौज मस्ती करना, दोस्त बनाना, कैरियर चुनने का होता झमेला। अपने पराए का भेद समझते, सच्चाई और झूठ नजर आने लगता। अपने में ही खोने लगता है वो, यौवन आकर सुनाता तान सुरीला। तीसरी गृहस्थ जीवन, मिलता साथी और जीवन बनाता अलबेला। मरने-जीने की संग कसमें खाते, बढ़ने लगता जिम्मेदारियों का झोला। फर्ज निभाते, परिवार बनाते, संग जीवन बिताते उमंगों से सजीला। जीवन में खिलाकर खुशियों के फूल जीवन बनाते हैं मधुर रसीला। चौथी अवस्था वृद्धावस्था, ढलती जवानी का शुरू हो जाता खेला। दादा-दादी, नाना-नानी बन जाते बच्चों को लेना सिखाते फैसला। जीवन के आखिरी पड़ाव में आकर जीवन के रंगीन चरण समझ में आते। सोचते गर कोई पहले बताता तो हम भी जीवन बीताते मस्त मौला। -"Ek Soch" #ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is ज़िन्दगी के रंगीन चरण
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