मां मैं किससे डरूं? मां तूने दिया क्या है? कहती है छुप कर रहा कर डरना चाहिए तुम्हें जमाने से मैं किससे डरूं?भाई और पापा से अब तो तुझ पर भी शंका होने लगी है बेच देती है हमें परेशान हो भूख से किससे डरूं? भूख से! या फिर बचपन बीता जिस संग उस भाई से या फिर हूं पसीने का कतरा जिसका पला-बढ़ा जिसकी कमाई से या डरूं अपनी बहनों की अगुआई से कहीं बिक ना जाऊं मयखाने में वास्ता रहना जाए प्यालों से मां मैं किससे डरूं? -नंदन #हथरस