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चंद अशआर: 221 2121 1221 212 ---------------------

चंद अशआर: 221 2121 1221 212 
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यूँ ही नहीं धुँआओं में पाया गया हूँ मैं
जलता हुआ दिया था, बुझाया गया हूँ मैं //१

किससे करूँ गिला मैं अपने ख़ाक़ होने का
दरिया में अपनों से ही डुबाया गया हूँ मैं //२

हर्फ़े ख़ुदा हूँ, मेरी इबारत है बरक़रार 
लिख के हज़ार बार मिटाया गया हूँ मैं //३

ज़िंदा रहे तो 'राज़' किसे थी मेरी ख़बर
रहलत के बाद कितना सजाया गया हूँ मैं //४

~राज़ नवादवी
हर्फ़े ख़ुदा- ईश्वर का लिखा; इबारत- लेख, तहरीर; रहलत- मृत्यु
चंद अशआर: 221 2121 1221 212 
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यूँ ही नहीं धुँआओं में पाया गया हूँ मैं
जलता हुआ दिया था, बुझाया गया हूँ मैं //१

किससे करूँ गिला मैं अपने ख़ाक़ होने का
दरिया में अपनों से ही डुबाया गया हूँ मैं //२

हर्फ़े ख़ुदा हूँ, मेरी इबारत है बरक़रार 
लिख के हज़ार बार मिटाया गया हूँ मैं //३

ज़िंदा रहे तो 'राज़' किसे थी मेरी ख़बर
रहलत के बाद कितना सजाया गया हूँ मैं //४

~राज़ नवादवी
हर्फ़े ख़ुदा- ईश्वर का लिखा; इबारत- लेख, तहरीर; रहलत- मृत्यु
raznawadwi7818

Raz Nawadwi

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