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एक चाहत भरी निगाह उठी और शरमा के फिर निगाह झुक

एक  चाहत  भरी  निगाह  उठी
और शरमा के फिर निगाह झुकी
सारे शिकवे-गीले मिटा के गई
फिर मोहब्बत का रंग घोल गई
जाने क्या-क्या वो मुझसे बोल गई

©Ashraf Fani【असर】
  एक चाहत भरी निगाह उठी
और शरमा के फिर निगाह झुकी
सारे शिकवे-गीले मिटा के गई
फिर मोहब्बत का रंग घोल गई
जाने क्या-क्या वो मुझसे बोल गई
#ashraffani

एक चाहत भरी निगाह उठी और शरमा के फिर निगाह झुकी सारे शिकवे-गीले मिटा के गई फिर मोहब्बत का रंग घोल गई जाने क्या-क्या वो मुझसे बोल गई #ashraffani #शायरी

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