चूल्हे के साथ जलती है, घर को पोषण देती है, दीये के लौ में जलती है, आँगन रौशन करती है, घर से बाहर दामिनी का दमकना अभी बाकी है। सच है कि आग है उसमें, अब उस सुलगती आग का, खुले विस्तृत आसमान में, बिजली-सा चमकना बाकी है । चूल्हे के साथ जलती है, घर को पोषण देती है, दीये के लौ में जलती है, आँगन रौशन करती है, घर से बाहर दामिनी का दमकना अभी बाकी है, सच है कि आग है उसमें, अब खुले आसमान में,