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क्यों गुमान ना करू, मैं अपने नसीब पर लुटा दी है मो

क्यों गुमान ना करू, मैं अपने नसीब पर
लुटा दी है मोहबब्त तूने, मुझ गरीब पर

जमीन से उठा कर , तुमने पलकों पे अपनी बिठाया
लाखों की भीड़ मैं, मुझे अजीज अपना बनाया

नाकस इस जिन्दगी की, जीनत तुम बन गए
नाउम्मीदी के दौर में, तोहफा ए तब्बसुम तुम बन गए

दिल का आशियां महकता है तेरी मौजूदगी से,
उड़ेल दिया अत्र ए इश्क, तूने अपने हबीब पर

क्यों गुमान ना करू मैं अपने नसीब पर
लुटा दी है मोहबब्त तूने मुझ गरीब परlllll

©Pawan Soni Ji
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