सब कुछ अनजाना सा लगता हैं .. जैसा अपना कोई है ही नहीं , आईना देखके के कह रहा ये मैं हूँ ही नही | भीड़ में तन्हा हूँ , मैं खुदको ज़ाया होते देख रहा | दिन भर कमरे में क़ैद हूँ, पर मैं अपने ख्यालों में भटक रहा | खुशी और सुकून तो अब अयादत करने लगे , जो हमराही बना वो है गम... समझ नहीं आ रहा कहाँ आना था और.. कहाँ आ गये हम। "राज़-ए-बेचैनी ही राज़-ए-उल्फ़त हैं, चाल रहा अन्दर खुदसे ही बगावत हैं |" ©Ashif Jamal #lonely #alone #Poet #nojohindi #Nojoto #Life #writer #shayri