जाने क्यों तू मुझको वफा के बदले बेवफाई दे गया, जान थी मैं तो तुम्हारी फिर क्यों मुझे रुसवाई दे गया। वो तुझ संग जुदाई के लम्हें हमको आज भी डराते हैं, डरे हुए से वो लम्हें हमको जिंदगी में बेहिसाब दे गया। जाने क्यों तूने मोहब्बत की हमको इतनी बड़ी सजा दी, महफिलें सजाने का वादा करके हमको तन्हाई दे गया। तेरी चाहत पर यकीन किया था हमने खुद से भी ज्यादा, दिल को जख्मी करके तू मोहब्बत को नासूर बना गया। तेरे बाद"एक सोच"किसी से भी मोहब्बत ना कर पाएगी, मोहब्बत में दिल तोड़कर मोहब्बत से विश्वास उठा गया। ♥️ Challenge-689 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।