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"माता-पिता व गुरू " जिस तरह माता हमारी पालना करती

"माता-पिता व गुरू "
जिस तरह माता हमारी पालना करती है
पिता हमारे हर एक इच्छाओं की पूर्ति करते हैं
 उसी प्रकार गुरु हमें दूसरों की जरूरतों व इच्छाओं को पूर्ति करने लायक बनाते हैं 
हम गुरु के ज्ञान मार्ग पर चलकर एक सुयोग्य व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बनते हैं 
गुरु का सदैव सम्मान करना चाहिए, गुरु हमारे अंदर वह ज्ञान व संस्कार देते हैं
 जिससे हमारा व्यक्तित्व निखर कर लोगों के बीच आता है
 और समाज में सम्मान के पात्र बनते हैं
 इन चंद पंक्तियों से अपनी भावनाओं को गुरु के प्रति समर्पित करता हूं


गुरुवर आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम !
होती नहीं सुबह मेरी,नहीं होती मेरी शाम !!
जो ना पाया होता आपसे मैंने ज्ञान ! 
अंधकार में खोया रहता ,रोता सरेआम !!
कोई नहीं चुप करने आता, जिंदगी होती हराम !

गुरुवर आपके चरणों में लाख-लाख प्रणाम .........

नाम है आपका गंगाधर, ज्ञान की गंगा बरसाते हैं !
ना जाने कितने मूर्खों को,ज्ञान मार्ग पर चलना सिखाते हैं !!

मैं अज्ञानी एक मूर्ख बालक, आपसे लिया जो ज्ञान !
मैं बना ज्ञानी बालक ,आप बन गए मेरे भगवान !!

गुरुवर आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम.........

©Ravikesh Kumar Singh
  #माता #पिता #व #गुरु