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तुम कहां हम कहां हम दोनो का मेल कहां।

तुम कहां हम कहां
हम दोनो का मेल कहां।

                    यू तो जमाने के झमेले से फुरसत नहीं
                    शायद मेरे मुकद्दर में हमारा मेल कहां।
                    माना तुम में कोई कमी नहीं
                    मुकद्दर ही रूठा हो तो मेल कहां।

मेरे रास्ते घने जंगलों से घिरे
उन जंगलों में तुझे सुख कहां।
मुशाफिरो के रास्ते बदलते रहते है
मेरे मुकद्दर में रुकना कहां।

                    बहुत कुछ कहता है ये जमाना मुझे
                    जमाने की बाते तुम्हारी समझ में कहां।
                    ये जो हवा लगी है तुम्हे
                    देखना है मुझे इसका बवंडर कहां।

©Rohit Kahar #तुम_और_मैं
#तुम_जो_चाहो 
#तुम_मिले 
#तुम_जो_कहो
#steps  MR VIVEK KUMAR PANDEY Esha mahi Maligram Yadav Hurhuzh cheuche Arun Sharma
तुम कहां हम कहां
हम दोनो का मेल कहां।

                    यू तो जमाने के झमेले से फुरसत नहीं
                    शायद मेरे मुकद्दर में हमारा मेल कहां।
                    माना तुम में कोई कमी नहीं
                    मुकद्दर ही रूठा हो तो मेल कहां।

मेरे रास्ते घने जंगलों से घिरे
उन जंगलों में तुझे सुख कहां।
मुशाफिरो के रास्ते बदलते रहते है
मेरे मुकद्दर में रुकना कहां।

                    बहुत कुछ कहता है ये जमाना मुझे
                    जमाने की बाते तुम्हारी समझ में कहां।
                    ये जो हवा लगी है तुम्हे
                    देखना है मुझे इसका बवंडर कहां।

©Rohit Kahar #तुम_और_मैं
#तुम_जो_चाहो 
#तुम_मिले 
#तुम_जो_कहो
#steps  MR VIVEK KUMAR PANDEY Esha mahi Maligram Yadav Hurhuzh cheuche Arun Sharma
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Rohit Kahar

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