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आवाज़ों के इन जंगलो में शोर बहुत है , तू चुपके से ब

आवाज़ों के इन जंगलो में शोर बहुत है ,
तू चुपके से बस अपनी खामोशियाँ सुन ,
चल रही इस ज़द्दोज़हद में कुछ कही जाएँगी कुछ सुननी हैं ,
तू बस सफलता का पुल अपने धैर्य से बुन ।।

सर झुकेगा धरा का जब-जब तो बेशक भूकंप ही आएगा ,
तू बिना झुके, बना रुके, समेट तूफ़ान अंदर का अपने,
तरकीबें नयीं, तू हौंसले नए चुन ।।

जीत तीनो लोकों को, बाँधा था समय कमर पर जिसने,
हुआ रावण एक ज्ञानी-ब्राह्मण गंभीर ,
टिका न शौर्य चार दिन भी उसका ,
घमंड ने दिया उसे भी चीर   ,

तू रख चरित्र राम सा , रह सम त्राहिमाम में,
सहेगा कष्ट, निखरेगा तू, दिखेगा हटकर, बाकि दीवाने-आम में ,
तू घबराएगा नहीं, तू टूटना मत ,
वक़्त गायेगा गाथा तेरी भी, रहेगा मगन ग़र उसी की धुन ।।

खा कसम तू खुद से, खुद ही को खुद में बांधे रखने की ,
आज जहाँ है, कल यहां से आगे बढ़ना है ,
अपने से ही आगे निकलने का तू बस तना-बना बुन ।।  

तेरा लक्ष्य भी तू है और तू ही तेरी मंज़िल भी ,
खुद ही से लड़ खुद ही को पछाड़,
कुछ अपना बोल कुछ वक़्त की सुन ।।

वक़्त जब तेरा आएगा, लौटेगा शौर्य पथ पर
कल जो हाथ उठे थे हौंसलो पर तेरे, 
वही धड़ झुके होंगे तेरी राह पर ॥ 

आएगा समां वही,  वक़्त जब पूछ कर तुझसे आगे बढ़ेगा
तू रहना खामोश, ना कोई ग़ौरव(अभिमान) करना ,
वरना ढेह जायेगा ताश़ के पत्तों जैसा,ग़र गुमान तेरे सर चड़ेगा॥ 

सब हासिल होगा तुझे एक दिन, तू बस अपना पथ एक चुन ।।

आवाज़ों के इन जंगलो में शोर बहुत है ,
तू चुपके से बस अपनी खामोशियाँ सुन ।।

©ग़ौरव   #silentwriter #nojitohindi #nojotowriters #socialhouse #poetrycommunity #experience #hindiwriters #Writersgram #loveforpoetry

#InspireThroughWriting
आवाज़ों के इन जंगलो में शोर बहुत है ,
तू चुपके से बस अपनी खामोशियाँ सुन ,
चल रही इस ज़द्दोज़हद में कुछ कही जाएँगी कुछ सुननी हैं ,
तू बस सफलता का पुल अपने धैर्य से बुन ।।

सर झुकेगा धरा का जब-जब तो बेशक भूकंप ही आएगा ,
तू बिना झुके, बना रुके, समेट तूफ़ान अंदर का अपने,
तरकीबें नयीं, तू हौंसले नए चुन ।।

जीत तीनो लोकों को, बाँधा था समय कमर पर जिसने,
हुआ रावण एक ज्ञानी-ब्राह्मण गंभीर ,
टिका न शौर्य चार दिन भी उसका ,
घमंड ने दिया उसे भी चीर   ,

तू रख चरित्र राम सा , रह सम त्राहिमाम में,
सहेगा कष्ट, निखरेगा तू, दिखेगा हटकर, बाकि दीवाने-आम में ,
तू घबराएगा नहीं, तू टूटना मत ,
वक़्त गायेगा गाथा तेरी भी, रहेगा मगन ग़र उसी की धुन ।।

खा कसम तू खुद से, खुद ही को खुद में बांधे रखने की ,
आज जहाँ है, कल यहां से आगे बढ़ना है ,
अपने से ही आगे निकलने का तू बस तना-बना बुन ।।  

तेरा लक्ष्य भी तू है और तू ही तेरी मंज़िल भी ,
खुद ही से लड़ खुद ही को पछाड़,
कुछ अपना बोल कुछ वक़्त की सुन ।।

वक़्त जब तेरा आएगा, लौटेगा शौर्य पथ पर
कल जो हाथ उठे थे हौंसलो पर तेरे, 
वही धड़ झुके होंगे तेरी राह पर ॥ 

आएगा समां वही,  वक़्त जब पूछ कर तुझसे आगे बढ़ेगा
तू रहना खामोश, ना कोई ग़ौरव(अभिमान) करना ,
वरना ढेह जायेगा ताश़ के पत्तों जैसा,ग़र गुमान तेरे सर चड़ेगा॥ 

सब हासिल होगा तुझे एक दिन, तू बस अपना पथ एक चुन ।।

आवाज़ों के इन जंगलो में शोर बहुत है ,
तू चुपके से बस अपनी खामोशियाँ सुन ।।

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